योगीराज श्री कृष्ण
योगीराज श्री कृष्ण योगियों में महायोगी ऋषियों में महर्षि राजाओं के राजा मानव में महामानव एवं भगवान में पूर्ण भगवान 16 कलाओं से परिपूर्ण भगवान श्री कृष्ण जी एक ऐसा व्यक्तित्व है जिसकी कल्पना भी हर कोई नहीं कर सकता।
नट खट बाल गोपाल
एक साधारण परिवार में पले बढ़े गइयाँ चुगाई किन्तु फिर भी उच्च शिक्षा प्राप्त की।
गुरुओं, पड़ोसियों एवं माता पिता के चहेते बाल गोपाल साधारण में असाधारण बाल रूप हर एक विषय में अव्वल कौन नही चाहेगा उनका भगवान ऐसा हो।
यौवन अवस्था में नंदलाला
श्री कृष्ण का यौवन भी किसी से छिपा नहीं है।
साँवले होने के बाद भी सबसे अलग अपने आप में आकर्षण समेटे हुए।
राधा से प्रेम हो या कंस का वध यानि कि सैनिक एवं प्रेमी के रूप में असाधारण यशोदानंदन।
किस माता पिता की इच्छा नहीं होगी कि उनका पुत्र ऐसा हो।
देवकीनंदन राजा श्री कृष्ण
राजा के रूप में वासुदेव कार्य ऐसा था जिसकी कल्पना भी रामराज्य से कम ना थी।
माता पिता भी प्रसन्न प्रजा भी प्रसन्न व्यापारियों का पसंदीदा राज्य भी मथुरा से द्वारका नगरी तक था जो उनको द्वारकाधीश बनाता है।
सभी के मन में इच्छा रहती है कि उनको भी द्वारकाधीश का सानिध्य मिले।
भाई के रूप में योगीराज श्री कृष्ण
पांडवों की पत्नी द्रोपदी का भरी सभा में चीर हरण हो या पांडवों का पक्ष धृतराष्ट्र के आगे रखना।
माधव जैसा भाई कौन नही चाहेगा।

सलाहकार द्वारकाधीश
कौरवों को बारम्बार सलाह दी कि वह अपना हठ त्याग दें ।
भाई से भाई गले लग जाये।
उनका वह हर प्रयास प्रजा के हित में था किन्तु हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठा वह लालच और पुत्र मोह ने सब तबाह कर दिया।
गीता उपदेश
महाभारत के युद्ध में जब सम्पूर्ण विश्व नंगी तलवारों के साथ शंखनाद करता हुआ मरने मारने के लिए आमने सामने था।
तब भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता का ज्ञान देकर कर्म का पाठ पढ़ा दिया था विश्व को और एक ऐसा महा ग्रंथ मानव जाति को दे दिया जो युगों युगों तक अपने ज्ञान भंडार से मानवता का कल्याण करता रहेगा।
भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण 16 कलाओं से परिपूर्ण योगिराज का एक ऐसा व्यक्तित्व है।
जिसके बारे में कल्पना करना भी ना मुमकिन है।
हर क्षेत्र सर्वश्रेष्ठ श्री कृष्ण को भगवान श्री कृष्ण बनाता है।
भगवान के रूप में हो या मानव के रूप में,
सैनिक के रूप में हों या योगी के रूप में,
राजा के रूप में हों या ऋषि के रूप में,
प्रेमी के रूप में हों या पुत्र के रूप में,
रिश्ते नाते भी उनसे अच्छे शायद किसी ने निभाये होंगें द्रोपदी के भाई या सुदामा के मित्र अभिमन्यु के गुरु हों या ऋषि संदीपनी के शिष्य।
हर क्षेत्र में सम्पूर्णता का आभास कराया।
मैं तो यही कहूँगा किसी से कुछ सीखना हो तो भगवान श्री कृष्ण से मेरे अनुसार अगर सनातन धर्म में एक भगवान की परंपरा होती और हम सिर्फ एक ही भगवान को मानें तो वह एक मात्र मेरे मधुसूदन।
भगवान श्री कृष्ण जी