राजीव दीक्षित जी का मातृभूमि के लिए प्रेम एवं देशभक्ति
Rajeev Dixit जी की Biography 30 नवंबर 1967 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के नाह गांव में उनके जन्म के साथ शुरू होती है।
उनकी स्कूली शिक्षा फिरोजाबाद के पी.डी. जैन इंटर कॉलेज में हुई थी। यहीं से राजीव दीक्षित जी ने 12 वीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की थी।
और आगे की शिक्षा K. K. M. College, जमुई बिहार से electronics और संचार में B. Tech किया। एवं M. Tech की डिग्री IIT खड़गपुर से पूरी की थी।
राजीव दीक्षित ने विवाह नही किया था वह एक ब्रह्मचारी थे।

Rajeev Dixit जी का मातृभूमि के लिए प्रेम
राजीव दीक्षित जी का मातृभूमि के लिए प्रेम एवं देशभक्ति का जुनून।
उन्होंने राष्ट्र धर्म के लिए भारतीय संस्कृति एवं स्वदेशी आंदोलन के लिए।
उन्होंने सब कुछ छोड़ कर 1991 में आजादी बचाओ आंदोलन शुरू किया।
1999 में वह भारत स्वाभिमान ट्रस्ट में सचिव के रूप में काम कर रहे थे। और पंतजलि योगपीठ हरिद्वार में बाबा रामदेव के साथ भी कार्यरत थे। वह चंद्रशेखर आजाद, उधम सिंह और भगत सिंह जैसे भारतीय क्रांतिकारियों की विचारधाराओं से बहुत प्रभावित थे।
उन्होंने गांधी जी के शुरुआती कार्यों की सराहना भी की थी। इन सभी महापुरुषों की Biography से वह बहुत प्रभावित थे।
उन्होंने सारा जीवन शराब, गुटखा, गौवध, एवं सामाजिक अन्यायों को रोकने में बिता दिया।
बाबा रामदेव से मुलकात
Rajiv Dixit जी की मुलाक़ात योग गुरु स्वामी रामदेव से 1999 हुयी थी।
दोनों की विचारधाराएं मेल खाती थीं।
इसलिए उन्होंने भारत को स्वावलम्बी एवं स्वदेशी बनाने के लिए।
वर्षों तक साथ में अथक प्रयास किया था।

भारत स्वाभिमान
तदोपरांत दोनों ने भारत स्वाभिमान की स्थापना की थी। भारत स्वाभिमान के राष्ट्रीय सचिव का पद Rajeev Dixit जी को सौंपा गया।
स्वामी रामदेव भी राजीव जी के व्याख्यानों बहुत प्रभावित थे।
स्वामी रामदेव ने उनके व्याख्यान अपने पतंजलि योगपीठ में करवाए। जिस से उनकी बातें TV के माध्यम से पुरे देश की जनता तक पहुंच सकें।
1 अप्रैल 2009 को भारत स्वाभिमान संस्था का उद्धघाटन हुआ था। जिसका सीधा प्रसारण आस्था टीवी चैनल पर किया गया था।
यही से उनकी लोकप्रियता बहुत अधिक बढ़ गयी थी। देश के करोड़ो लोग उनकी बातें सुनने लगे थे।
उनके व्याख्यान इतनी सरल भाषा में होते थे जिनको समझना बहुत आसान होता था।
उन से ही देश के लोगों को भारत का वास्तविक इतिहास एवं स्वदेशी की महत्ता का पता लगा था।
उनके इस भारत स्वाभिमान ने ही कई विदेशी कंपनियों की पोल खोली थी।
वह राजीनीतिक पार्टियों के भी ख़िलाफ़ थे। राजनीतिक पार्टियों की Biography पर खुलकर बोलते थे।
मैकाले की अंग्रेजी शिक्षा पद्धति, देश के संविधान, कानून प्रणाली जैसे कई मुद्दों पर तथ्यों एवं सबूतों के साथ बोलते थे।
भारत को स्वदेशी बनाने में उनका योगदान
वर्षों तक Rajeev Dixit जी ने भारतीय इतिहास से जो कुछ सीखा उसके बारे में लोगों को समझाया भी।
जैसे –
अंग्रेज़ भारत क्यों आये थे?
उन्होंने हमें गुलाम क्यों बनाया?
अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता को क्यों नष्ट किया था?
भारत की शिक्षा एवं गुरु कुलों को क्यों समाप्त किया?
भारतीय उद्योगों को क्यों नहीं चलने दिया ?
और किस तरह नष्ट किया गया। इसकी पूर्ण जानकारी विस्तार से दी। विदेशी कम्पनियों के खिलाफ स्वदेशी आन्दोलन शुरू किए।

राजीव दीक्षित जी की मृत्यु
30 November 2010 को Rajeev Dixit को अचानक दिल का दौरा पड़ने के भिलाई के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
उसके बाद अपोलो B.S.R. अस्पताल में रेफर कर दिया गया।
दिल्ली लेजाने से पहले ही वह यह दुनिया छोड़ कर स्वर्ग लोक का चुके थे।
स्थानीय डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था।
यहीं पर उनकी Biography को पूर्ण विराम लग गया। कुछ लोगों का मानना है कि उनको धीमा ज़हर दिया गया था।
कुछ लोग सरकार पर और कुछ विदेशी कंपनियों पर एवं कुछ लोग तो स्वामी रामदेव जी को ही उनकी मृत्यु का दोषी मानते हैं।
सच क्या है यह तो सिर्फ़ भगवान ही जानते हैं। लेकिन आज भी राजीव दीक्षित जी की कमी देश को महसूस होती है।
Rajeev Dixit जी की BIOGRAPHY में हमारे शब्द यहीं समाप्त होते हैं।
उनके जीवन चरित्र पर Biography लिखने बैठें तो शायद कई ग्रंथ लिखे जाएं।