PAINTING गन्दी पेंटिंग
PAINTING पेंटिंग हाय रे पेंटिंग, ज़माना है पेंटिंग का।
किसने बनाई किसकी पेंटिंग, मैटर ये नहीं है चैटिंग का।
भगवान के द्वारा बनाई पेंटिंग, रूप है इंसानियत का।
रब ने बनाई है मेरी पेंटिंग, आपको हक दिया है किसने टचिंग का।।
ज़माना है पेंटिंग का…
सड़ी शक्ल हाथ कंगाली, क्या यही है पहचान चरित्रहीन की।
गोरी चमड़ी फिट है बॉडी, क्या यही है पहचान देव मानुष की।
इंग्लिश विंग्लिश जेब अमीरी, क्या यही है पहचान अच्छाइयों की।
कबीर कंगला शक्ल हनुमान की, कैसे भूल जाऊं राह इनके मंदिर की।।
ज़माना है पेंटिंग का…

साफ़ पानी पवित्र भूमि, सापों को प्रिय है पुष्प केवड़े का।
खारा पानी कीचड़ भूमि, देवों को प्रिय है पुष्प कमल का।
भद्दी शक्ल काली चमड़ी, वह भी तो बच्चा है ना भगवान का।
आपका आकर्षण गोरी चमड़ी, लेकिन गौरव तो कलाम है भारत का।।
ज़माना है PAINTING का…
वर्षों पहले संत हुए, नाम था कबीरा।
कंगाली में जीवन बिता, बुनत सूत जंजीरा।
सदियों पहले लिख दिया, मनुष्य सोच गंभीरा।
संत कहें कहें उसे फ़कीरा, सिस्टम को हैंग करने वाला वह तो था रघुवीरा।।
ज़माना है पेंटिंग का…
PAINTING
दुखी हुआ मन, देख नज़ारा चमड़ी का।
फ़िर मैंने याद किया, पेंटर मेरी पेंटिंग का।
वो हस कर बोला, मत मूड बना चिंता का।
सबको ज्ञान दिया है मैंने, पाठ कर तू गीता का।।
ज़माना है PAINTING का…..
होंगे सुंदर नैन नक्ष, अंदर तो सब काला।
नहा धो कर इत्र लगाया, मन तो फ़िर भी मैला।
करने दे उनको इग्नोर, नहीं है उनकी कोई लैला।
तू कर्म कर अपना, मत कर मन मैला।।
ज़माना है पेंटिंग का….

मंजिल पांच पेंटिंग तीन, ज़माना है पेंटिंग का।
पेंटिंग ने पेंटिंग को, कह दिया सड़क किनारे का।
रोई आत्मा घाव हुआ दिल को, देख लोगो सड़क किनारे का।
दिल ने कलम से कर दी चैटिंग, जाल पिरो दिया कलम ने शब्दों का।।
ज़माना है PAINTING का…..।।।