गंगा माँ या नदी
Ganga क्या है हम GANGA NADI को माँ भी कहते हैं नदी भी कहते हैं। लेकिन कुछ भी हो गंगा है तो जीवन हम मनुष्यों को गंगा नदी से बहुत कुछ मिला है।
गंगा से हमें शुद्ध जल मिलता है उस जल से हम प्यास तो बुझाते ही हैं।
अपने खेतों में सिंचाई करके अन्न भी उत्पन्न करते हैं गंगा हम भारतीयों की जीवन रेखा भी है।

और हम बदले में माँ गंगा को क्या देते हैं गंदगी आस्था के नाम पर फूल प्रसाद चढ़ाते हैं दिन रात गंदा कर रहें हैं।
समझो गंगा के महत्व को गंगा जीवन है हमारा
आपने सोचा है गंगा जैसी नदी उत्तर प्रदेश में ना होती तो वहाँ के मनुष्य अपना जीवन कैसे जीते बिन पानी के….
अगर हम ऐसा ही करते रहे तो 1 दिन ऐसा भी आयेगा जब गंगा इतनी गंदी हो जाएगी।
कि उसका पवित्र जल पीना तो दूर नहाने योग्य भी नही रहेगा। कैसा होगा वो दिन मेरी तो सोच कर ही रूह काँप जाती….

बिन जल का भविष्य कैसा होगा
आपको क्या लगता है गंगा में डुबकी लगाने से आपके पाप दूर हो जायेंगे…और आप पाप मुक्त हो जायेंगे… नही ऐसा नही होगा, आपको लगता है।
गंगा में फूल प्रसाद चढ़ाने से आपका कल्याण हो जायेगा…जी नही… बल्कि आप एक ऐसी बहती हुई पवित्र धारा को खो देंगे।
जिसे हमारे ऋषि मुनियों ने गंगा माँ कहा है।
इसलिये नही कि वो हमारे पाप धोयेगी बल्कि इसलिये कि उसमें नहा कर हम अपने तन और मन की मैल साफ़ कर सकें।
और जल पी कर प्यास को शांत कर सकें।
हमारे पूर्वजों ने गंगा के जल से प्यास बुझाई Ganga जल से खेतों की सिंचाई करके अन्न उत्पन्न किया।
गंगा नदी ने माँ की तरह उनका पालन पोषण किया इसलिये हमारे पूर्वजों नें गंगा को माँ गंगा कहना शुरू कर दिया।

उनको क्या पता था कि आने वाली पीढ़ी इतनी बेवकूफ़ निकलेगी वो उसकी पूजा ही ही शुरू कर देगी।
इतने मूर्ख हो जाएंगे कि पैसे तक गंगा में चढ़ायेंगे।
एक तरफ़ तो देश की मुद्रा को नष्ट करेंगे और दूसरी तरफ़ गंगा जल को दूषित करेंगें।
जिसको हमारे पूर्वज पूजनी माँ गंगा कहते थे, अगर आज वो आसमान से देखते होंगे तो उनको पछतावा होता होगा।
राजा भगीरथ जी को भी बड़ा दुःख होता होगा जो हिमालय से गंगा को भूभाग पर लेकर आये थे।
आप सबसे मैं हिमांशु धामी निवेदन करता हूँ गंगा को नदी ही रहने दो देवी मत बनाओ।
Very good sir
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