Ellora caves इंसानों द्वारा बनाई गई एक बेमिसाल कलाकृति है। जो आज के आधुनिक युग में भी बनानी लगभग सम्भव नहीं है।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद से 30 किमी. दूर एलोरा के पास Ellora की यह 34 गुफाएं 2 किमी. के क्षेत्रफल में बनी यह गुफाएं एक अद्भुत निर्माण है।
जो यह दर्शाती हैं कि मानव सभ्यता कितनी उन्नत रही है। हमारे पूवज वस्तुकला में कितने निपुण थे।
यह तो कोई नही जानता कि इन गुफाओं का निर्माण कब और क्यों कराया किन्तु ये अवश्य कह सकते हैं।

कि भारत का इतिहास बहुत पुराना और उन्नत रहा होगा।
Ellora की 34 गुफाओं में 1-12 गुफाएं बौद्ध धर्म की हैं।
13 से 29 गुफायें हिन्दू धर्म को समर्पित हैं।
एवं 30 से 34 गुफाएं जैन धर्म की हैं।
12 गुफाएं बौद्ध,
17 गुफाएं हिन्दू,
5 गुफाएं जैन धर्म की हैं।
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ellora caves नम्बर 26 में शिव मंदिर आकर्षण का मुख्य केंद्र है।
माना जाता है कि इस शिव मन्दिर का निर्माण राष्ट्रकूट वंश के राजा कृष्ण प्रथम ने (756 AD -773 AD) मध्य कराया था।
इस मंदिर की ख़ास बात यह है कि इसका निर्माण ऊपर से नीचे की ओर एक ही पत्थर को खोखला कर नक्काशी, खम्बे, द्वार, फूल, मूर्तियां एवं शिवलिंग का निर्माण किया गया है।

अनुमान लगाया जाता है लगभग 4 लाख टन का पत्थर काट कर अनुमानित 7000 मजदूर 150 वर्ष तक काम करें तब यह मंदिर बन सकता है।
किंतु इसे बनने में मात्र 17 वर्ष का ही समय लगा।
यह तो कोई नहीं जानता कि इसे बनाने की टेक्नोलॉजी और उद्देश्य क्या रहा होगा।
किन्तु ये तो निश्चित है हमारे पूर्वजों के पास कोई उन्नत तकनीक तो जरूर थी।
कुछ इतिहासकारों का कहना है यहाँ आज से लगभग 4000 साल पहले बहुत उन्नत सभ्यता रहती थी।
Ellora caves को यूनेस्को द्वारा 1983 में विश्वधरोहर घोषित किया गया है।