BALRAM (बलदाऊ भैया) की माता रोहिणी
BALRAM शेषनाग के अवतार एवं माता रोहिणी के पुत्र हैं।
वसुदेवजी की दूसरी पत्नी रोहिणी जब सारे यादव वंश को कंश ने बंदी बना लिया था तब मात्र रोहिणी ही स्वतंत्र थीं।
उस समय अक्रूर जी ने माता रोहिणी को सुरक्षित गोकुल में नन्द जी के यहाँ पहुँचा दिया था।
BALRAM जी के जन्म की कथा
जब माता देवकी की 6 संतान को कंश ने जन्म लेते ही मार दिया था।
जब माता देवकी सातवीं बार गर्भवती हुईं।
तब देवताओं ने मिल कर एक योजना बनायी और योग माया के द्वारा BALRAM जी को रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर दिया।
इसलिए इनका एक नाम संकर्षण भी था। जो साक्षात शेषनाग का अवतार थे।

BALRAM जी का परिचय
बलराम जी श्री कृष्ण के बड़े सौतेले भाई थे। बलराम जी के 7 सगे भाई एवं 1 बहन सुभद्रा थी।
इनका विवाह रेवत की राजकुमारी रेवती से हुआ था।
लक्ष्मण का अवतार कहे जाने वाले BALRAM बहुत ही बलशाली एवं गदा युद्ध में निपुण थे।
भीम और दुर्योधन इनके ही शिष्य थे यही कारण था कि बलराम जी ने महाभारत के युद्ध मे हिस्सा नहीं लिया था।
जब जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया है।
तब तब शेषनाग ने भी किसी ना किसी रूप में उनके साथ अवतार लिया है।
राम-लक्ष्मण, कृष्ण- बलराम इत्यादि।
बलराम जी का अंतिम समय
भगवान श्री कृष्ण जी जब अपने लोक में चले गए थे।
तब BALRAM जी भी समुन्द्र तट पर ध्यान मुद्रा में बैठ गए।
और अपने शरीर को छोड़ कर फिर से भगवान विष्णु की सेवा में बैकुंठ धाम चले गये।

बलराम जी की पूजा एवं मूर्तियां
बलराम जी की पूजा बहुत पहले से होती आ रही है।
इनकी प्राचीन मूर्तियां भी मथुरा एवं ग्वालियर से प्राप्त हुई हैं।
यह मूर्तियां शुंगकालीन हैं।
कुषाणकालीन बलराम जी की मूर्तियों में कुछ व्यूह मूर्तियां भी हैं।
अर्थात विष्णु जी के समान चतुर्भुज रूप में तो कुछ उनके शेषनाग से सम्बंधित रूप में भी हैं।
ऐसी मूर्तियों में वह द्विभुज एवं उनके मस्तक पर मंगलचिह्नों को सर्पफणों से अलंकृत किया गया है।
कुषाण काल के मध्य में ही व्यूह मूर्तियों का और अवतार मूर्तियों का भेद समाप्त हो गया था।
BALRAM जी की ऐसी मूर्तियां भी बनने लगीं थी।
जिनमें नाग फणाओं के साथ ही उन्हें हल मूसल से युक्त दिखाया जाने लगा था।
गुप्तकाल में बलराम जी की मूर्तियों में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ था।
उनके द्विभुज और चतुर्भुज दोनों रूप चलते थे।
कभी कभी उनका एक ही कुंडल पहने रहना बृहत्संहिता में भी अनुमोदित है।