Ajanta Caves महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर से लगभग 105 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
अजंता की प्राचीन गुफा भारत में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटक स्थलों में से एक हैं।
जो भारतीय गुफा कला का सबसे महान जीवित उदाहरण हैं। यह गुफा, एलोरा गुफाओं की तुलना में भी काफी पुरानी है।

अजंता की गुफाएं वाघुर नदी के किनारे एक घोड़े की नाल के आकार के चट्टानी क्षेत्र को काटकर बनाई गईं हैं।
इन गुफाओं को घोड़े के नाल के आकार का पहाड़ी काट कर 29 गुफाओं का निर्माण किया गया है।
यह गुफाएं चट्टानों पर काटकर बनाये गए बौद्ध स्मारक हैं। जिन्हें यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है।
अगर आप इतिहास को जानने के बारे में या ऐतिहासिक चीज़ों को देखने का शौक रखते हैं।
तो अजंता गुफा की यात्रा करना आपके लिए बहुत ही आनंदमय साबित हो सकतीं हैं।
इन गुफाओं की कलाकारी और सुंदरता आपके मन को शांति और सुख का एहसास कराएगी।
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Ajanta Caves का निर्माण
अजंता की गुफाएं मुख्य रूप बौद्ध एवं हिंदू धर्म से संबंधित गुफाएं हैं। जिसमें बौद्ध धर्म की कला कृतियाँ हैं।
इन गुफाओं का निर्माण दो चरणों में हुआ है। पहले चरण में सातवाहन और इसके बाद वाकाटक शासक वंश के राजाओं ने इसका निर्माण करवाया।
पहले चरण की अजंता की गुफा का निर्माण दूसरी शताब्दी के समय हुआ था। एवं दूसरे चरण वाली अजंता की गुफाओं का निर्माण 460-480 ईसवी में हुआ था।
पहले चरण में 9, 10, 12, 13 और 15 ए की गुफाओं का निर्माण हुआ था।
दूसरे चरण में 20 गुफा मंदिरों का निर्माण किया गया है। पहले चरण की गुफाओं को शुरू में हीनयान कहा गया था।
इसका सम्बन्ध बौद्ध धाम के हीनयान से है। दूसरे चरण की खुदाई लगभग 3 शताब्दी के बाद की गई।
इस चरण को महायान चरण कहा गया। कई लोग इस चरण को वतायक चरण भी कहते हैं।
जिसका नाम वत्सगुल्म के शासित वंश वाकाटक के नाम पर पड़ा है।

Ajanta Caves को सन् 1983 में युनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है।
इन गुफाओं जैसे ना जाने कितने निर्माण भारत मे सदियों पूर्व हुए हैं।
जो दुनिया में सबसे ज्यादा एवं उत्तम और असम्भव कलाकृतियों को समेटे हुए हैं।
इन निर्माण से हम यह कह सकते हैं। हमारे पूवज कितने उच्च कोटि के इंजीनियर रहे होंगे।
एवं सनातन धर्म की यह अनमोल धरोहर अकल्पनीय हैं।